देखो तो बस बदला है दिन, बात कोई है इसमें लेकिन,
कितना भी मैं चाहे लूँ गिन, निकल गया हाथों से पलछिन.
सुबह वही है - शाम वही है, हर चीज़ों का दाम वही है,
लगता कुछ भी अलग नहीं है, कुछ भी देखो फरक नहीं है.
बदल गया लेकिन कैलेंडर, किया पुराना साल सर्रेंडर,
नयी उमीदों का है मंज़र, दिखलाना है अब तो कुछ कर.
इस साल करेंगे हल्लागुल, कामयाबी का बजायेंगे बिगुल,
सारी खुशियाँ औ मस्ती फुल, "हैप्पी न्यू इयर" कहता राहुल!!!
कितना भी मैं चाहे लूँ गिन, निकल गया हाथों से पलछिन.
सुबह वही है - शाम वही है, हर चीज़ों का दाम वही है,
लगता कुछ भी अलग नहीं है, कुछ भी देखो फरक नहीं है.
बदल गया लेकिन कैलेंडर, किया पुराना साल सर्रेंडर,
नयी उमीदों का है मंज़र, दिखलाना है अब तो कुछ कर.
इस साल करेंगे हल्लागुल, कामयाबी का बजायेंगे बिगुल,
सारी खुशियाँ औ मस्ती फुल, "हैप्पी न्यू इयर" कहता राहुल!!!
बहुत अच्छे विचार हैं....
ReplyDeleteकभी मेरे दरवाजे पर भी दस्तक दीजिए..
http://savitabhabhi36.blogspot.com
हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeleteकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
गरीबखाने पर आने का और ज़र्रानवाज़ी का शुक्रिया सविता जी... सिर्फ दस्तक क्यूँ, हम तो आकर आपके मेहमान बनेंगे (गर आप मेहमान-भगवान् मानतो हों तो :) फिर आईएगा और दोस्तों को भी लाईयेगा!!
ReplyDeleteधन्यवाद अजय जी, अवश्य ही अन्य हिंदी ब्लॉगों को पढ़ने और सराहने का विचार है. आप भी यहाँ आते रहिये और अन्य मित्रों को भी लाइए.
ReplyDeleteनव वर्ष मंगलमय हो राहुल जी !
ReplyDeleteस्वागत है !
सेटिंग्स मे जाके वर्ड वेरिफिकेशन को डिसेबल करलें
कमेंट्स देने वालों को आसानी हो जायेगी ।
आपको भी नववर्ष की शुभकामनायें उलूक जी! आपके सुझाव के अनुसार वर्ड वेरिफिकेशन को डिसेबल कर दिया है. आते रहें और अपने अमूल्य कमेंट्स देते रहें.
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