वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो
साथ में ध्वजा रहे
बाल दल सजा रहे
ध्वज कभी झुके नहीं
दल कभी रुके नहीं
वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो
सामने पहाड़ हो
सामने पहाड़ हो
सिंह की दहाड़ हो
तुम निडर,हटो नहीं
तुम निडर,डटो वहीं
वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो
वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो
प्रात हो कि रात हो
संग हो न साथ हो
सूर्य से बढ़े चलो
चन्द्र से बढ़े चलो
वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो
-द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी
Bachpan yaad aa gya. wah!
ReplyDeleteDinesh Kashyap
delhi
Dhanyawaad Dinesh jee.. aur blog per aane ka shukriya. Kafi samay se kuchh naya nahi dala hai, dobara shurur karta hun. AAte rahein aur mera dusra blog bhi dekhein..
ReplyDeletehttp://iambetterthanthebest.blogspot.com/