मैं जा रहा था पार्टी में
शानदार तैयार,
कि तभी मेरा पाँव
पड़ा उस नन्ही जान पर,
और बिना मुझे जान पड़े
शायद उसकी जान चली गयी.
पर मैं
अपने जूते निहार रहा था,
कि कहीं कोई दाग तो नहीं पड़ा.
और मैं आगे की ओर बढ़ा.
शायद यही कीमत है
हमारी नज़रों में उन लाचार छोटों की,
जिन्हें शायद उसी ने बनाया है
जिसने मुझे!!
Hey very good poetry.......
ReplyDeleteThanks a lot, keep coming & reading!!
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